कुछ रोज़ पहले बातल वाले चाचा चाची और हमारी कुछ बातें आप लोगों के साथ शेयर की थी। उन के साथ एक फोटो भी है जिसमें हम और चाचा चाची साथ में है। उस फोटो को देख के पता नहीं कैसे पर विनुता जोरापुर एकदम सही पकड़ लिए, कि जब भी हम पहाड़ों में होते है तो हम खुश होते है, और इस बात पे कोई दो राय भी नहीं है क्योंकि हम क्या आप भी, हम तो कहते है सब ही होते है। पर कभी गौर नहीं किया होगा कि इस चीज़ की वजह क्या है शायद आसमानों में घुसे पड़े यह पहाड़ या पहाड़ी रास्ते जो बादलों से भी ऊपर ऊपर चलते है, या फिर इतनी गहरी खाईयां कि आवाज़ भी लौटने में देर कर दे, हरे हरे पेड़ या रंग बिरंगे जंगली फूल, या फिर पहाड़ी लोग। पर इन सबसे इत्तर, सबकी नज़रों से छिपे, देवदार, चिनार, चीड़ या फिर कभी सेब के पेड़ो से घिरे पहाड़ी घर।

शायद यही घर ही हमारी या आपकी उस ख़ुशी की वजह हैं जो बार बार हमें पहाड़ों में खींच लाती है। इतने सालों की हमारी यात्राओं ने हमें बहुत से ऐसे ही घरों में रुकने का मौका दिया है। हम सोचते थे कि पहाड़ी घरों और पहाड़ी होम स्टे में कुछ फ़र्क़ होता होगा पर नहीं, इनमें कुछ ज़ियादा फ़र्क़ नहीं होता है।
उन सब पसंदीदा घरों में से कुछ ख़ास वाले जहाँ हम हर बार अपना एक हिस्सा छोड़ आते है , सोच रहे है कि क्यों न उन सब घरों से आपका भी तआ’रुफ़ करवा देते है।
स्नोलाइन होमस्टे, शांघड

कुल्लू की सैंज वैली में ऊपर एक गाँव है शांघड़ नाम का, गाँव में शंगचुल महादेव का एक सुन्दर सा मंदिर है। बाकी पहाड़ी देवताओं की तरह अपने गाँव में इनका पूरा सिक्का चलता है और वो भी इतना के अगर किसी का घोड़ा शांघड़ मैदान में घुस जाए तो उसको जुर्माने के अलावा देवता से माफ़ी भी मांगनी पड़ती है। कहते है कि यह परंपरा पांडवों ने शुरू की थी जब उन्होंने शांघड़ मैदान के बीच दो पत्थर गाड़ के मैदान को दो हिस्सों में बाँट दिया था।
Snowline Homestay : यहाँ से शांघड ग्राउंड का बर्ड्स आई व्यू दिखता है!

घर तमाम सुख सुविधाओं और मॉडर्न एमेनिटीज से लैस है. 6 कमरे, हर कमरे में अटैच्ड बाथरूम और पहाड़ी खेतों में खुलने वाली खिड़कियां — सैंज घाटी में इतनी ऊंचाई पर बने इस आशियाने में राकेश भाई जी और उनका परिवार आपको कभी भी अपने घर की कमी महसूस होने नहीं देंगे। घर में गेस्ट्स के लिए अलग से किचन की सुविधा है, आप चाहें तो खुद भी खाना बना सकते हैं। साथ ही, कुछ दूरी पर भाईजी ने कैंपिंग की व्यवस्था भी कर रखी है! और तो और, आपकी गाड़ी सीधे घर के पार्किंग तक जा सकती है – पार्किंग में आपकी गाड़ी के बैकग्राउंड में ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के पहाड़ की फ़ोटो आने के पूरे चान्सेस रहते हैं.

स्नो लाइन होम स्टे, शांघड़ के आसपास घूमने की जगहें: शांघड़ मैदान, बड़शांघड़ का वाटरफॉल, थीनि जोत, पुण्डरीक ऋषि झील, सौरा झील, शुमगा थाच, शंगचूल महादेव का मंदिर।
स्नो लाइन होमस्टे, शांघड़ आने का सबसे बढ़िया मौसम: वैसे तो आप साल के 12 महीने शांघड़ आ सकते हैं, पर हमारी माने तो ये इलाक़ा बर्फ़ और बदल – दोनों के साथ बेहतरीन होता है. तो दिसंबर – जनवरी या अगस्त-सितम्बर सबसे बढ़िया टाइम है.
शांघड़ कैसे पहुंचा जाये – चंडीगढ़ मनाली हाईवे पर औट बस स्टैंड से सैंज के लिए बस पकड़े और सैंज से शांघड़ आसानी से पहुंचा जा सकता है।
यहाँ ये ज़रूर करें: थीनि थाच ट्रेक
होमस्टे की वेबसाइट | होस्ट का फ़ोन नंबर: Snowline Homestay
Solo Yolo Homestay, काज़ा, स्पीति

वैसे कहने को तो कागज़ों पे Solo Yolo एक गेस्ट हाउस हो सकता है, क्योंकि सिस्टम को थोड़ी न पता है house और home का फ़र्क़। पर काज़ा, स्पीति वैली में बसा यह एक छोटा सा घर है, जहाँ हर कोई बिलकुल वैसे हो जाता है जैसे घर पे हों, कहीं और तो शायद ही किसी को कोई बेड टी मिल पाए वो भी सुबह 5 बजे की बस पकड़ने से पहले।

काज़ा में प्लेइंग ग्राउंड के बिल्कुल बगल में स्पीति नदी से बमुश्किल 5 मिनट की दूरी पर, बिजनौर के तीन लौंडों ने मिलकर घूमने वाले लोगों के लिए एक घर बना दिया है। गाँव के जाट भाइयों को अगर कुछ साल दिल्ली में रहना पड़े ना तो ऐसा ही कुछ होता है, सन्नी ने अपनी कॉर्पोरेट वाली नौकरी छोड़ दी, सौरभ ने ग्लैमर वाले ख़्वाबों को तिलांजलि दे दी और गौरव के लिए बस इतना जान लीजिए कि एक मदमस्त हाथी को एक अच्छा माहवत मिल गया है। अत्त चिल्ल लौंडे है सारे, 2018 की सारी गर्मियां इन्हीं की सोहबत में गुज़री थी। सौरभ के साथ स्पीति को एक नए तरीके से जानने का मौका मिला। फेसबुक से शुरू हुई बातचीत अब ऐसी बन चुकी है कि नाम नहीं लिए जाते अब।

इन सबसे इत्तर Solo Yolo की एक सबसे बड़ी USP है राणा जी, बात बस इतनी है अगर आपको तीन महीने बिना इंटरनेट और नयी दुनिया के चोंचलों से दूर रहना हो ना तो ये हालात किसी का भी मानसिक संतुलन बिगाड़ दे। तो अगर हम पागल नहीं हुए तो उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ राणा जी का खाना है।
घर में वैसे तो छह कमरे, डाइनिंग रूम, डोरमेट्री है और 35-40 लोगों के रहने का इंतज़ाम आसानी से हो सकता है पर चिल्ल करने की सबसे बढ़िया जगह है राणाजी का किचन और किचन के लगती बालकनी, क्यों यह मत पूछिएगा . एक बार यहाँ हो आइए मालूम चल जाएगा.

स्पीति कैसे पहुँचे – स्पीति दो रास्तों से पहुंचा जा सकता है, एक मनाली से और दूसरा शिमला से। मनाली से स्पीति एक दिन में पहुंचा जा सकता है, गर्मियों में रोज़ सुबह 5 बजे मनाली से काज़ा के लिए बस चलती है। इसके अलावा कई शेयर्ड कैब भी मिलती है मनाली तो काज़ा के लिए जो 1000 से 1200 के करीब में आपको काज़ा पहुंचा देती है। शिमला से काज़ा आने में दो दिन लग जाते है, एक दिन बीच में किन्नौर होते हुए आना होता है, शिमला से रेकोंग पीओ की बस आसानी से मिल जाती है, रेकोंग पीओ से काज़ा सवेरे एक 5 बजे एक बस है। प्राइवेट या शेयर्ड टैक्सी से भी पहुंचा जा सकता है।
आसपास घूमने लायक जगहें –
काज़ा, की मोनेस्ट्री, किब्बर गाँव, चिचम ब्रीज, गित्ते, टशीगांग, लांग्ज़ा, कॉमिक, हिक्किम, ढंकर मोनेस्ट्री, ल्हालुंग, पिन वैली, मुद्द गाँव, कुंजुमला
यहाँ यह जरुर करें – कनामो ट्रेक, बाइक राइडिंग, फॉसिल हंटिंग
स्पीति आने का सही समय – वैसे तो गर्मियों में स्पीति आना सबसे बढ़िया माना जाता है पर फिर भी अगर आप सर्दियों में यहाँ आएँगे तो एक अलग ही दुनिया से वाक़िफ़ होंगे आप।
संपर्क सूत्र – Solo Yolo
सनी तोमर 9599204321
Stories From Villages of Spiti Valley
चैहणी कोठी गाँव का एक घर

Photo credit Sameer Vaidya
कुल्लू की बंजार वैली में एक छोटा सा गाँव है कोठी चैहणी कर के, इतना छोटा के यहाँ सिर्फ पैदल चल के ही पहुंचा जा सकता है। इस गाँव के लोग लकड़ी के घर बनाने की कला में बहुत निपुण है। इस बात का सबूत 17वीं शताब्दी में बनी दो टावर-नुमा मीनार है। यह टावर चैहणी की पहचान है। 1905 के भूकंप में भी यह दोनों टावर सलामत बच गए थे। चैहणी गाँव में ही श्रृंगी ऋषि का मंदिर है, श्रृंगी ऋषि की गाँव और आसपास के इलाके में बहुत मान्यता है। हर साल एक यात्रा होती है जिसमें गाँव में स्थित मंदिर से देवता को ऊपर स्कीर्ण टॉप पे स्थित दूसरे मंदिर ले जाया जाता है। फिर वो नीचे आते है और बंजार मेले में शिरकत करते है।

डॉक्टर साब एंजोयिंग एट सकीर्ण टॉप
इसी यात्रा के दौरान एक बारी हमें चैहणी कोठी में रुकने का मौका मिला और जिस घर में हम रुके थे वो घर गाँव के मुखिया और मंदिर के पुजारी का ही था तो यात्रा के दौरान कुछ ख़ास सहूलतें मिल गयी हमें वरना यह यात्रा काफी कठिन रास्ते से हो के जाती है। यह वाला घर गाँव के एक कोने में है सारा गाँव पार करके आप इस घर तक पहुँचते है। भाईजी ने घर का सबसे बढ़िया वाला कमरा हमें दे दिया पर वो अंदर की ओर था, सब कुछ था पर बाहर वाले छोटे से कमरे के जैसे नज़ारे नहीं थे।
चैहणी कोठी के बारे में और जानने के लिए सुंदरनगर वाले मराज का लिखा हुआ बेहतरीन ब्लॉग जरूर पढ़ें
The Great Tower of Chehni Kothi & Shringa Rishi – Tower Temples of Banjar Valley

Photo Credit Sameer Vaidya
पहाड़ी गाँव के नज़ारों के लिए तो सब कुछ छोड़ा जा सकता है तो हम हो गए बाहर के कमरे में शिफ्ट। घर के एक तरफ से चैहणी का टॉवर दीखता है तो दूसरी तरफ जलोड़ी जोट की तरफ के पहाड़। घर के पीछे से ही रास्ता निकलता है जो सकीर्ण टॉप तक जाता है। चैहणी तक पहुँचने के लिए ट्रेक करना पड़ता है, पर इसका यह मतलब गाँव में कोई सुविधा नहीं हैं। मुखिया जी का घर पर भी सब सुविधाएँ उपलब्ध है, इंटरनेट अच्छा चलता है गाँव में , खाने पीने की कुछ एक जगह भी है वैसे पर घर में आपको घर का बना खाना मिलता है। और हाँ, आप फरमाइश भी कर सकते है। अब उन्होंने शायद अपने होमस्टे को कोई नाम दे दिया हो पर उस वक़्त हम थे घर था और भाईजी थे।
चैहणी कोठी कैसे पहुँचे – बंजार से 10 किलोमीटर आणि बंजार ओट वाले (नेशनल हाईवे 305) रोड पे बागी गाँव से चैहणी कोठी पहुँचने का रास्ता निकलता है। बागी से एक घंटे का पैदल सफर चैहणी पहुंचा देता है। श्रृंगी ऋषि का नया मंदिर बागी गाँव में ही बना है।
आसपास घूमने की जगहें – चैहणी कोठी, स्कीरण टॉप, बाघी गाँव का श्रृंगी ऋषि माँ मंदिर, जीभी, जलोड़ी जोट, सेरोलसर झील, रघुपुर फोर्ट, सोझा, जीभी वॉटरफॉल।
चैहणी आने का सही समय – वैसे तो गाँव कभी भी आ सकते है पर यात्रा के दौरान गाँव में कुछ ख़ास रौनक रहती है। सर्दियों में गाँव में काफी बर्फ गिरती है और गाँव की खूबसूरती को चार चाँद लगा देती है।
यहाँ यह ज़रुर करें – सकीर्ण टॉप ट्रेक
संपर्क सूत्र – जीतू भाईजी +91 94598 83922
हमें लग रहा है यह लिस्ट थोड़ी लंबी खींचने वाली है, इसलिए फिलहाल अभी यहीं अल्पविराम दे के छोड़ते है। अगले सप्ताह फिर आएँगे, तब तक Julley!