“अरे यारा, सारे फ़ोटोग्राफर लोग डाकू होते हैं! कोई फ़ोटो नहीं देता, कभी भी नहीं! 2006 में जब ओलम्पिक खेला तब से लेकर आज तक, एक भी फ़ोटो नहीं दी है किसी ने. स्की करते हुए एक भी बढ़िया फ़ोटो नहीं है आज तक. कभी किसी भाई ने वीडियो बना लिया फ़ोन में तो ठीक, वरना कहाँ ही आनी वैसी फ़ोटो जैसी आपलोग खींचते हो” – हीरा भाई जी Solang SkyUltra 2020 में सौ किलोमीटर की रेस में सेकेंड फ़िनिश करने के बाद हमें ताने मार रहे थे.
पिछले साल यानी 2020 में इस रेस की भाग भसड़ खत्म करके हम लालची और बेशर्म किस्म के बन्दे हीरा भाई से मिलने इनके घर गए – इस आस में कि कुछ तो कहानी मिल जाएगी और कुछेक पेटी सेब की उठा लेंगे! भाई जी ने कहा था कि बुरवा गाँव पहुँच कर किसी से पूछ लेना – ओलम्पियन हीरा लाल का घर, लोग घर तक पहुंचा देंगे!
मनाली से रोहतांग जाने वाले रस्ते पर आता है एक नेहरू कुंड – क्योंकि नेहरू जी ने यहाँ पानी पी लिया था. इसी नेहरू कुण्ड से बाएं की तरफ एक पुल पार करके आता है बुरवा गाँव। काफी भरा पूरा हैप्पनिंग सा गाँव है. सेब और टूरिज़्म के काम करने वालों के अलावा, आपको हर दूसरे-तीसरे घर में विंटर स्पोर्ट्स, पैराग्लाइडिंग या माउंटेनियरिंग करने वाले खिलाड़ी मिल जाएंगे.
ख़ैर, हम बुरवा पहुंचे और हीरा भाई जी के घर तक उनके नाम ने पहुंचा दिय. भाई जी हमें मेन रोड पर ही मिल गए और घर तक आते आते, फ़ोटो खींचकर फ़ोटो ना देने वाली फ़ोटोग्राफर क़ौम के नाम दस बीस और ताने चिपका दिए. अभी तक हम इन तानों के नीचे दबी एक अत्यंत भोले इंसान की निराशा को हल्के में ले रहे थे. पर घर पहुँचते ही जैसे ही हमने इनके लिविंग रूम में एंट्री मारी, हम कतई ज़्यादा ओवरव्हेल्म हो गए. मतलब कुछ ऐसे लोग नहीं होते हैं जिनकी सादगी और भलमनसाहत उनके काम और हासिल के ख़िलाफ़ सी लगती है – कि इतना सब कुछ कर लेने के बाद भी बंदा ऐसे कैसे है, हीरा भाई ने हमें दो मिनट में ह्युमिलिटी का पाठ पढ़ा दिया, बिना कोई क्लास दिए!
कमरे में कम से कम दो सौ से ज़्यादा मेडल्स, ट्रॉफीज, और सर्टीफ़िकेट्स की भरमार है. ऊपर से इन्ने छूटते ही ओलम्पिक की अपनी जर्सी दिखा दी और हमारे बदन में झुरझुरी सी हो गई – गूज़बम्प्स वाली। ये वाले गूज़बम्प्स को समझने के लिए आपको या तो ख़ुद खिलाड़ी होना पड़ेगा या हीरा भाई की सादगी को एक्सपीरियंस पड़ेगा। हमने ओलिंपिक 2006 में हीरा भाई का पार्टिसिपेशन मैडल भी देखा। तमाम नेशनल और वर्ल्ड चैम्पियनशिप्स के ब्रॉन्ज़, सिल्वर और गोल्ड भी. अंदर से आवाज़ आई – भाई अपना स्टड है, माने कतई हीरा! इतने में भाई जी ने लोकल अख़बार की एक कटिंग दिखाई – “ओलंपिक में चमकेगा मनाली का हीरा”!
हिम्मत करके हमने कैमरा निकाला। हिम्मत इसलिए लग रही थी क्योंकि समेटने और सुनने को इतना कुछ था कि एक दो घंटों की मोहलत में कुछ भी नहीं समेट पाते। प्लस, उस दिन तो हम पूरी किट भी लेकर नहीं गए थे. सो बस इस शेल्फ़ की फ़ोटो ही ले पाए. भाई जी ने चलते चलते सेब की पेटी पकड़ाई और 2022 के विंटर ओलंपिक्स खेलने का अपना प्लान बताया।
ऊपर लिखी बातों को पूरे एक साल हो गए! कोविड की भसड़ के बीच में एकाध बार हीरा भाई से फ़ोन पर बात भी हुई, लेकिन अपने हीरा भाई जी तो ठहरे कतई स्टड! इन्होने अपनी ट्रेनिंग प्लान में आ रही मुश्किलों के बारे में कभी बात ही नहीं की और अब, आलम ये है कि विंटर ओलम्पिक 2022 में बचे हैं कुल पाँच महीने। ओलम्पिक में क्वालीफ़ाई करने के लिए, हीरा भाई को इंटरनेशनल हॉकी फ़ेडरेशन की रेसेज़ में पॉइंट्स चाहिए और ये रेसेज़ होती हैं यूरोपियन कंट्रीज़ में. स्की एक महंगा स्पोर्ट है, ये तो हमें पता था लेकिंग इंडिया में विंटर स्पोर्ट्स के लिए इंफ़्रास्ट्रक्चर नगण्य है, ये हमें हीरा भाई से मिलकर पता चला.
“एक एवरेज स्की ट्रेनिंग फ़ैसिलिटी बनाने में करोड़ों रूपए लगते हैं, जिसको स्की रिसोर्ट कहा जाता है. मान लो कि यहाँ बना भी दे कोई, लेकिन विंटर्स में आपने यहाँ के हालात देखे हैं? कितने टूरिस्ट आते हैं और कितने दिन रुक पाते हैं? सड़कें बंद, बिजली ग़ायब, पानी ग़ायब – कुल मिला जुलाकर मुट्ठी भर टूरिस्ट बचते हैं और हम कुछ तीन चार स्की एथलीट! कहाँ से खर्चा निकलना स्की रिसोर्ट का? पब्लिक स्पोर्ट्स अथॉरिटीज़ के भी बस की बात नहीं है. मैडल जीतने पर सब पैसे देते हैं, मैडल जीतने के लिए कोई पैसे नहीं लगाता।”
“कितना पैसा लगना है भाई जी?” – हमने बस जानकारी के लिए पूछा। “पाँच सौ से छः सौ यूरो पर डे!”- सुनकर हमारे होश उड़ गए. हमने फिर पूछा और हीरा भाई ने स्माइल कर दिया – “पहले तो इंडिया से आने जाने का खर्चा लगा लो, फिर वहाँ सबसे सस्ते जुगाड़ में रहने का खर्चा, जहाँ रह रहे हो वहाँ से ट्रेनिंग वेन्यू तक आने जाने का खर्च, ट्रेनिंग में स्की लिफ़्ट, कोच और फिर FIS रेस में पार्टिसिपेट करने जाना – कुल मिलाकर सबसे सस्ते में भी तीन से पाँच सौ यूरो का हिसाब बनता है, हर दिन. उसके ऊपर से किट लगा लो. एक पूरी किट का खर्च कम से कम ढाई से तीन लाख रूपए बनता है. अब आपको दो किट तो चाहिए ही.”
तीन महीने की ट्रेनिंग के लिए कुल हिसाब बनता है कम से कम पैंतालीस हज़ार यूरो। इंडियन करेंसी में आज की वैल्यू के हिसाब से लगभग चालीस लाख रूपए! ये इतनी मोटी रक़म के मायने समझने में ही हमें तीन चार दिन लग गए. पर फिर सोचा गया कि कुछ किया जाए, लोगों से मदद मांगी जाए — और इस बात का भरोसा करने की हिम्मत भी हमें पैन्डेमिक वाले कुछ महीनों ने ही दिलाया. ये समझ आया कि हमारा समाज इतना भी गया गुज़रा नहीं है जितना इसे कोसा जाता है.
तो, हीरा लाल भाई जी की अनुमति से हमने उनकी ओलम्पिक ट्रेनिंग कैंपेन के लिए क्राउड फंडिंग करवाने ज़िम्मेदारी ली है. क्योंकि समय बेहद कम है, इसलिए हीरा भाई की ये छोटी वीडियो स्टोरी बनाई गई और तमाम क्राउड फंडिंग साइट्स को नॉक किया गया है. कुछेक पर तो फण्ड रेज़र लाइव भी हो गया है.
हीरा भाई अपनी ट्रेनिंग में व्यस्त और हम लग गए हैं बेहद मुश्किल काम को पॉसिबल करने में – देश दुनिया के भरोसे। अगर आप भी हीरा लाल भाई जी को विंटर ओलम्पिक 2022 तक पहुंचाने में हमारी मदद करना चाहते हैं या कर सकते हैं, तो नीचे दी गयी डिटेल्स आपके लिए हैं –
Fund Raiser Campaign on Keeto.org – Support Olympian Hira Lal for Winter Olympics 2022
Direct Bank Transfer Details
Beneficiary – Hira Lal, S/O – Pyare Lal
Bank Details: Himachal Pradesh Gramin Bank
Account No. – 88250100034137
IFS Code – PUNB0HPGB04
Email Address – olympianhiralal@gmail.com