जो सोचा था उसके एकदम उल्टा निकला पाकिस्तान | पाकिस्तान यात्रा का मेरा अनुभव (2005)

कुछ पहचान ओवरलैप भी हैं। जैसे कुछ पश्तून भी पंजाबी बोलते हैं। कृपया ध्यान दे।) शाही किले लाहौर का यह चित्र है। पीछे बादशाही मस्जिद की मीनारे दिख रही है। ये चित्र पाकिस्तान की यात्रा का है।

2005 में मैं अपने विद्यालय स्कूल ऑफ़ आर्ट्स एंड एस्थेटिक्स – (जे एन यू ) के सौजन्य से पाकिस्तान अपने सहपाठियों के साथ गया था। जैसा की एक छवि बनी हुयी थी, पाकिस्तान उससे बहुत अलग लगा। पाकिस्तानी लोग भारतीय पर्यटकों से मिलकर बहुत खुश होते हैं।लेकिन कश्मीर के मुद्दे पर बात करने पर आक्रामक हो जाते हैं। कई बार तो ऐसा हुआ की दुकानदारों ने सामान के पैसे भी नहीं लिए। लाहौर में मैं अपने लिए पेशावरी सैंडल खरीद रहा था। मेरे नाप (10) की सैंडल उस दुकान में नहीं मिली, और बाकी दुकानो में भी नहीं मिली। दुकानदार ने कहा आप चाहे सामान ना खरीदें, लेकिन चाय पीकर ज़रूर जाना। बहुत अच्छा लगा।

शाही किला लाहौर, पीछे बादशाही मस्जिद की मीनारें दिख रही हैं

लाहौर बहुत उदार शहर है, बाकी पाकिस्तान के मुकाबले।कराची छोड़कर। नेशनल कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स में तो कुछ जींस पहनने वाली ,सिगरेट पीने वाली लड़कियों को भी देखा, जोकि मेरी पाकिस्तान की पूर्व निर्मित छवि के विपरीत था। वहां के छात्रों से बहुत बात हुई। हर कोई भारत के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहता था।

कश्मीर के मुद्दे को लेकर पाकिस्तानी बहुत संवेदनशील हैं। वो एक अलग बात है कि कश्मीर का 5000 वर्ग किमी इलाका पाकिस्तान ने चीन को दे दिया। बहुत से लोग ऐसे मिले, जो हमारे क्षेत्र मुज़फ्फरनगर से प्रवासित हुए थे. लाहौर एक ज़िंदादिल शहर है। इसका एक अलग ही कल्चर है। मस्जिदों में भी खूब भीड़ रहती है और शाम को शराब के अंडरग्राउंड अड्डों पर भी। लाहौर में सड़कें दिल्ली के मुकाबले बेहतर है। विशेषकर नए लाहौर में। पाकिस्तान के हाईवे भी भारतीय राजमार्गो के मुकाबले दुरुस्त हैं। इसका नमूना हमने तब देखा जब हम लाहौर से हड़प्पा गए।

पाकिस्तान में महंगाई भी बहुत है। सर दर्द की एक गोली पांच रूपये में मिलती है। गरीब, यहाँ भारत के मुकाबले ज्यादा दुखी हैं, क्योंकि कालाबाजारी ज्यादा है। अख़बार 20 रूपये का मिलता है, बेसिक पाठ्य पुस्तकों के पेज अखबारी कागज से भी ज्यादा ख़राब हैं। खाने पीने की चीज़ें महंगी हैं। मिडिल ईस्ट के देशों का पुराना सामान यहाँ बहुत बिकता है। जैसे फ्रिज़, कारें, इलेक्ट्रॉनिक आदि। पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम एकदम लचर है।

पाकिस्तान में महिलाएं बहुत ख़ूबसूरत हैं। स्तंभित करने वाला सौंदर्य मैंने वहीं देखा। मेरा मानना है कि एशिया की सबसे सुंदर नारियां पाकिस्तानी ही हैं।(अरबी एवं ईरानियों से भी ज्यादा ) लाहौर में, मेरी कल्पना के विपरीत, मुश्किल से 1 % औरतें ही बुर्के में थीं। पाकिस्तान में बहुत सारी नस्लें मिल गई हैं। पाकिस्तान की सबसे ज्यादा प्रभुत्व वाली जाति राजपूत (मुस्लिम )है। भुट्टो राजपूत थे। अभी भी आई एस आई से लेकर पाकिस्तानी सेना एवं उद्योगपतियों में राजपूतों का वर्चस्व है और वे अपनी जातीय पहचान पर गर्व भी करते हैं. — मुस्लिम होने के बावजूद। इसके अलावा पाकिस्तान में प्रजातीय पहचान भी बड़ा मुद्दा है। पाकिस्तान में पंजाबी मुस्लिमों को छोड़कर सभी कौमों, जैसे सिंधी, पश्तून (पठान), मोहाजीरो, बलुचो को भारतीय एजेंट घोषित किया जा चुका है। जाहिर है घोषित करने वाले लोग पंजाबी मुस्लिम हैं।

यहाँ एक और बात बताने योग्य है कि पाकिस्तानी पंजाब, भारतीय पंजाब से चार गुने से भी ज्यादा बड़ा है। पंजाबी एक भाषायी एवं भौगोलिक पहचान है ना कि धार्मिक (मेरे बहुत से मित्रों को ऐसा लगता है कि पंजाबी का मतलब सिख धर्मावलम्बी होता है)। पाकिस्तान में मुहाजिरों के अलावा सभी लोग ऐसा मानते हैं कि उर्दू भाषा को उनके ऊपर थोपा गया है। उर्दू पश्चिमी पाकिस्तान में सम्पर्क भाषा थी। जिसे सिर्फ़ वर्तमान पाकिस्तानी इलाके के 3% लोग बोलते थे. निसंदेह, उर्दू वर्तमान पाकिस्तान के किसी भी गाँव में बोली जाने वाली बोली नहीं है। पाकिस्तानी पंजाब में हिंदुस्तानी में बोलने पर तुरंत नोटिस ले लिया जाता है की बोलने वाला जरूर कराची का कोई मोहाजिर है। ऐसा हमें भी समझा गया कई बार। पाकिस्तानी पंजाब में उर्दू हिन्दुओ एवं उच्च कुल मुस्लिमो की भाषा थी। विभाजनपूर्व लाहोर की बड़ी बड़ी उर्दू प्रेस सभी हिन्दुओ की थी। ग्रामीण मुस्लिम सिर्फ पंजाबी बोलते थे।लाहोर के शाही किले के सामने स्थित रंजीत सिंह की समाधी पर भी मैं गया। और वहां का गुरुद्वारा भी देखा। जिसमे कोई नहीं था। लाहोर के किले के सामने स्थित बादशाही मस्जिद एक बहुत खूबसूरत कृति है। यह बिलकुल दिल्ली की जामा मस्जिद के समान है और इसका रख रखाव बहुत बेहतर ढंग से किया गया है।

यह फ़ोटो पाकिस्तान की तरफ की वाघा सीमा पर । देशभक्ति के कोरियोग्राफ्ड नाटक (फ्लेग होस्टिंग सेरेमनी ) के दौरान।
दोनों देशो के सुरक्षा बल यहां रोज परेड का ड्रामा करते हैं। अब यह ड्रामा हजारो लोगो को जीविका दे रहा है।

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