OPINION – मतभेद को हमसे मतभेद है !

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Cannabis Fields in India

डिकोडिंग चार सौ बीसी – व्हाट इज़ दिस ‘फ़ोर ट्वेंटी’ थिंग आफ्टर ऑल!

आज भी हर साल की तरह अप्रैल की बीसवीं तारीख है और दुनिया भर की चरसी-गंजेरी-भंगेड़ी जमात अपने अपने सोशल मीडिया पर इसकी ईद मनाते दिख रहे हैं. अब क्योंकि हमने भी दुनिया में कहीं भी, कभी भी प्रकृति की इस देन को संस्कृति का कानूनी हिस्सा बनाने की क्रांति करने में लगे बन्दे की सरकार बनाने में अपना दो कौड़ी का योगदान करने की पब्लिक घोषणा कर दी है, तो ये आइडिया आया कि एक बार चार इस चार सौ बीसी के बारे में भी बातचीत करते चलें!

Bawray Banjaray Team at Sohra in Meghalaya

पीरियड्स, ट्रिप्स एंड ट्रेक्स – एक ज़रूरी बातचीत और कुछ टिप्स | Bawray Banjaray गाइड

‘पीरियड्स’, ‘माहवारी’, ‘महीने के वो दिन’, ‘अशुद्ध होना’, ‘डाउन होना’ जैसे शब्दों की आड़ लेकर स्कूलों में अपने स्कर्ट्स पर चॉक की सफ़ेदी, गाँवों में राख के टेक्सचर और छोटे शहरों में पुराने कतरनों के नीचे एक पूरी पीढ़ी ने पूरे ताम झाम से एक सिंपल बायोलॉजिकल प्रोसेस के नाम पर सबका चूतिया (माफ़ करना, गुस्से में इधर उधर हो जाता है!) काटा है! और, आज भी यही एक्सपेक्ट किया जा रहा है कि वैसे ही ये वाली पीढ़ी भी कटवाती रहे — अब ये तो होने से रहा! ट्रैवल ब्लॉगिंग के शुरूआती दिनों से ही ट्रिप्स और ट्रेक्स पर पीरियड्स को लेकर होने वाली परेशानियां, दिक्कतें और हिडेन कॉम्पलेक्सेज़ के बारे में लिखने और बात करने की चुल रही है – लॉकडाउन में ये भी निपटा ले रहे हैं!

सोशल मीडिया की भसड़ – अ बावरे बंजारे पर्सपेक्टिव | बिंदास भड़ास

आपको बेवकूफ़ बनाया जा रहा है – आपके समय, आपके अटेंशन को कितना हल्के में लिया जा रहा है ये भी सोचिए। और ये भी सोचिए कि अगर ऐसा ही रहा तो आपके सामने से आपकी कहानियां ग़ायब हो जाएंगी और एक विकृत, डिस्टॉर्टेड मानसिकता जो आज हमारी सच्चाई बन गई है, उसकी आग इन कहानियों में आपके हीरो बनने के अधिकार को लील जाएगी।

A goor is the messangers of

क्या जीसस और हिमालय के एंशिएंट ट्राइब्स रिलेटेड हैं?

इंटर कल्चरल कम्पेरिज़न्स में इस तरह की मिलती जुलती बातें सामने आना कोई नई बात नहीं है। एक जिज्ञासु होने के नाते वैसे भी हम सबके मन मे ऐसे बहुत से सवाल उठते रहते हैं। यह भी अभी एक नया विचार है, एक ऐसा विचार, जिससे रैडिकल सोच वाले लोगों को असहमति भी हो सकती है। लेकिन, यह हिमालय और अन्य संस्कृतियों के डिफरेंट आस्पेक्ट्स की स्टडीज़ को एक अलग डायरेक्शन दे सकता है। नड़ और गूर कम्युनिटी के बारे मे ऐसी कई बातें हैं जिनपर अगर गौर किया जाए, तो हमें अपनी हिस्ट्री और कल्चर से जुड़े बहुत से सवालों के जवाब मिल सकते हैं। बस हमें यह ध्यान रखना होगा कि हिमालय की इन ट्रेडिशंस को रेस्पेक्टफुली प्रिज़र्व किया जाए।

सियाचिन ग्लेशियर – दुनिया के सबसे ऊँचे बैटल फ़ील्ड में टूरिज़्म के फ़ायदे और नुकसान

जो सियाचिन देखने के सपने देखते थे, उनसे लेकर जो बस सियाचिन को देश प्रेम झाड़ने का ज़रिया मानते हैं, उन तक — कल शाम से सियाचिन जाने के कितने सपने सजते चले गए. साथ ही, हर मुद्दे और पहल पर डिबेट करने का राष्ट्रीय रोज़गार भी शुरू हो गया – कितना सही है, कितना गलत है से लेकर ग्लोबल वार्मिंग के असर तक – इतना ज्ञान पेला जा रहा है कि हमने सोचा कि चलो थोड़ा पढ़ा जाए और जाना जाए कि आखिर सीन है क्या सियाचिन का. तो सबसे पहले ये पता किया गया कि सियाचिन है क्या, कहाँ है, क्यों है और फिर ये सारा बवाल समझ आया. तो जो हमारी समझ में आया, वही आपसे शेयर कर रहे हैं।

Gandhi से बड़ा ट्रेवल इन्फ्लुएंसर कोई नहीं!

उदाहरण, इंस्पिरेशन, लर्निंग – सब बापू ही हैं!150वां हैप्पी बर्थडे है आज! देसी ट्रैकिंग स्टिक लेकर पूरा इंडिया ट्रेक किएला है भाई बाप ने! और घूम घूम कर ही, क्या उधम मचाया! गांधी की यात्राओं में आपको सेल्फ़ एस्टीम का टूटना, बेसिक सवाल पूछना, गलत और सही को नई समझ देना, एक इन्फ्लुएंसर होना और ऐसी कई चीज़ें मिल जाएंगी जो अपनी यात्राओं पर हम आप भी एक्सपीरियंस करते हैं.
हमारे लिए तो बापू #travelgoals में आते हैं.
घूमो तो ऐसा घूमो!

Yogesh Sarkar was the founder of BCMTouring

Yogesh Bhai – I Will Not Miss You!

Yogesh Sarkar, the founder of BCMTouring breathed last at Pangong on his tenth trip to Ladakh. Although there is this deep void that is lurking around, I can only hope he had wished his last breaths in these mountains and that he had his wish fulfilled before he left for the eternal journey.

Cloud play at manali

15 अगस्त वाली ट्रिप – ट्रिपिंग इन टू द हिल्ज़ ऑफ़ इंडियन हिमालय | पार्ट 1

ट्रिप की प्लानिंग स्टेज में ही हमारी शुरुआत सर्प्राइज़ के साथ हुई। अभी तो पहाड़ पहुंचे ही थे। हफ़्ते भर की यात्रा तो अभी होनी थी, और एक हफ़्ते की ट्रिप में कितने ‘सर्प्राइज़’ हो सकते हैं — हम फिर कह रहे हैं, आपको, हमको, किसी को नहीं पता। हफ़्ते का ट्रैवल आपको बहुत कुछ दिखा सकता है। पढ़िए, ट्रिप मनाली कैसे पहुँच गई?