BIKE RIDES के किस्से

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अनंत की पुकार | क़िस्सा नंबर आख़री : दिल्ली दूर नहीं!

“अब यार, जाम नहीं मिलना चाहिए, नहीं तो रिहर्सल को लेट हो जाएँगे”, सोच कर कहीं ब्रेक न लिया। और दिल्ली के नज़दीक आ ही गए। पता कैसे चला, मालूम है? जानलेवा सड़कों ने हमारा स्वागत किया भई। और धूल ने भी, और अँधाधुन ड्राइविंग, और हॉर्न की आवाज़ें। जब सामने बोर्ड देखा, “वज़ीराबाद” राइट, “शास्त्री पार्क” सीधे, तब लालची ख़याल आया कि यार माँ के घर चली जाती हूँ, रिहर्सल के लिए अभी और पच्चीस किलोमीटर जाना होगा, और फिर उनको अचार और गंधक जल भी तो देना है!

अनंत की पुकार | क़िस्सा नंबर 7 : देहरादून!

क़िस्सा नंबर 6: हू इज़ देयर? संक्षिप्त में बताया जाए तो देहरादून में बहुत मज़े किए, बात कर के भी, और चुप रह कर भी। और दीदी और भैया के हाथ के पकवान खा कर आत्मा भी प्रफुल्लित हो उठी। मैं घर के दो लोगों से लगभग बीस साल बाद मिली, और तीसरे से भी काफ़ी सालों बाद। लोग कहते हैं न, “लिविंग इन द मोमेंट” – ऐसी ही रही हमारी मुलाक़ात। न पीछे का, न आगे का कुछ बतियाया गया, बस जो अभी सामने था, उसी की बात हुई। जैसे कि भैया के हाथ के बने भांति भांति के […]

अनंत की पुकार | क़िस्सा नंबर 6 : हू इज़ देयर ?

क़िस्सा नंबर 5: और क्या ही चाहिए! अभी याद आ रहा तो पूरी जर्नी का अभी बता रही, एक ऐसा अनुभव जो बार बार, हज़ार बार हुआ। मैं ऐक्टिवा चला रही हूँ, और अचानक मुझे बस हाथ दिखते हैं हैंडल पर, अपने ही, पर आँखें किसी और की हैं। मेरे कंट्रोल में नहीं है गाड़ी, पर सब ठीक है। दो तीन बार इस स्थिति में इतनी गहराई आ गई, कि बहुत एफ़र्ट लगा कर ख़ुद को लौटना पड़ा। इसको “who’s there”  स्टेट मान कर चलते हैं।  अब अपुन टिहरी वाले रस्ते पर मस्त है। ट्रैफ़िक काफ़ी कम है इधर। थोड़ी […]

अनंत की पुकार | किस्सा नंबर 5: और क्या ही चाहिए!

क़िस्सा नंबर 4: शिव, गंगा, दिया, और चाँद तो फिर है ही! बाहर मेन रोड पर पीले रंग की दीवार के एंट्रेंस पर लिखा है, “पुरुषोत्तम नन्द महाराज आश्रम, वशिष्ट गुहा आश्रम” ऐसा ही कुछ। बाजू में ऐक्टिवा खड़ी कर के सीढ़ियाँ उतरना शुरू किया, और उतरते उतरते गंगा किनारे बैठने का ख़याल छलांग मार रहा था, गुफ़ा के दर्शन के साथ साथ। कुछ सीढ़ियाँ उतरते ही, राइट साइड में एक साधू बैठे थे, नज़रें मिलीं, और प्रणाम किया, उनकी स्माइल मानो आशीर्वाद बरसा रही हो। उसके आगे की उतराई में कुछ प्राणी और मिले, इन्क्लूडिंग गाय। नीचे पहुँचते एक […]

Rafting in Rishikesh

अनंत की पुकार | क़िस्सा नंबर 4 : शिव, गंगा, दिया, और चाँद तो फिर है ही!

क़िस्सा नंबर 3: तेरा ही गीत, तेरा संगीत चहुँ ओर लक्ष्मण झूला के पहले पार्किंग के लिए पचास रूपए की टिकट कटती है। इस पर पैनिक अटैक आते ही एक महिला के सामने जा खड़ी हुई जो अपनी दुकान के बाहर खड़ी थीं। फ़ुल प्रोफ़ेशनलिज़्म से अपुन का इंस्टेंट ट्रीटमेंट करते हुए दीदी ने कहा “अरे झूले के बाहर ही होटल के सामने पार्क कर देना, यहाँ तो बार बार पचास की आहुति मांगते हैं सुसरे”। एकदम भावुक कर दिया दीदी ने अपने दिल की आवाज़ सुन कर। लक्ष्मण झूला के इस छोर पर मंकी पीपल की शरारतें देख कर […]

अनंत की पुकार | क़िस्सा नंबर 3: तेरा ही गीत, तेरा संगीत चहुँ ओर

पढ़ें क़िस्सा नंबर 2: सवा घंटे वाला चाय ब्रेक अपर गंगा कैनाल रोड पर आगे का नज़ारा और सरसराती हवा ने माहौल एकदम मस्त कर दिया राइड का। राइट साइड (ईस्ट) में सूर्योदय हो रहा था और लेफ़्ट साइड में नहर किनारे लहराते पेड़। अपने को नॉर्थ की तरफ़ निकलने का है। खतौली से लेफ़्ट गए, कुछ-एक गाँवों से निकले, और फिर आ गया दिल्ली-हरिद्वार हाइवे। मक्खन है जी सड़क। अब तक के रास्ते पर DL नंबर की भरमार है, लगता है आधी दिल्ली हरिद्वार में मिलेगी। करीब दो घंटे में हरिद्वार से पहले एक ढाबे पर दूसरा चाय ब्रेक […]

अनंत की पुकार | क़िस्सा नंबर 2: सवा घंटे वाला चाय ब्रेक

पढ़ें क़िस्सा नंबर 1: सोलो बोल्ड है म्यूज़िक फ़ुल ऑन बज रहा है, और रास्ता अक्षरधाम मंदिर से ग़ाज़ीपुर की ओर बढ़ रहा है। कुछ दिन पहले किसान आंदोलन के स्थान पर थे तो याद रहा कि रोड ब्लॉक होगा। खोपचे वाली सड़क के घुमावदार रास्ते पार कर के फिर से हाइवे पकड़ लिया गया। कुछ ही देर में ईस्टर्न पेरीफ़ेरल एक्सप्रेसवे (ई.पी.ई) ने स्वागत किया हमारी नन्ही ऐक्टिवा का। यहाँ एक बात साफ़ कर देनी ज़रूरी है: अगर ख़तरों के खिलाड़ी होने का ख़िताब चाहिए तो दिल्ली की सड़कों पर, मद्धम लाइट में, छोटा दुपहिया वाहन चलाएँ। ये एहसास […]

अनंत की पुकार | क़िस्सा नंबर 1: सोलो बोल्ड है!

अबे ये क्या टाइटल हुआ ब्लॉग पोस्ट का? वो भी ट्रैवल पोस्ट, ऊपर से ऐसा कुछ धमाल भी नहीं कर आए हो। हज़ारों फ़्री सोल हैं, जो नेचर के कॉल (nature’s call नहीं) अटेंड कर के इधर उधर अफ़रा तफ़री करते ही रहते हैं। तुम कौन हो बे, इतना एक्साइटेड हो कर एक चिन्दी बात का बबाल कर रहे?तो इन सब बातों का रिस्पॉन्स इस पोस्ट की कहानी दे ही देगी, ऐसी मंगल कामना के साथ, जय फ़्री राम करते हैं। तो साहब, इस कहानी के सभी पात्र और घटनाएं सच्चे हैं, जिनका अपुन की जर्नी से डायरेक्ट रिश्ता है। […]

Dharamshala Diaries from Bawray Banjaray

आइलैंड हंटिंग इन धर्मशाला| BAWRAY BANJARAY ट्रैवलॉग्स | पद्दर गांव

तरुण गोयल साहब की ‘सबसे ऊंचा पहाड़’ और माउंट त्रिउंड की चढ़ाई के अलावा धर्मशाला से हमारी कुछ ख़ास जान पहचान तो अब तक नहीं हुई थी! मेन सिटी से 15 मिनट की दूरी पर धौलाधार की छांव में तीन चार दिन चिल करने का आईडिया था! ऊपर से खबर ये थी कि कैंप लगाने की जगह एक आइलैंड पर किसी पहाड़ी नदी किनारे है!

असंख्य बांसों के छाए में पली बढ़ीं कढ़ी पत्तों की खुशबू में धर्मशाला की अलग पहचान लेकर हम इस ट्रिप से वापस लौटे – एक और नई ट्रिप प्लान करने के लिए! आपको हमारी ये वाली ट्रिप कैसी लगी, हमें कमैंट्स सेक्शन में ज़रूर बताईयेगा! अपना और अपनों का ध्यान रखें, स्वस्थ रहे, खुश रहे! हम मिलते हैं आपसे बावरे बंजारों की अगली वीडियो में!

Bawray Banjaray In Baga Sarahan

Camping At Baga Sarahan Meadow – बारिशों में बागा का स्वाद!

भूख लगी थी तो खाने का जुगाड़ करने के लिए बाहर निकलना पड़ा. तब तक बारिश भी थोड़ी मंदी हो चुकी थी. जिन भाई जी ने टेंट लगाने की जगह दी थी उनके घर पर साथ लाई गई मैगी बनवाई और तुरंत खा-पीकर टेंट में सेट हो गए. टेंट पर पड़ती हल्की बूँदों की पट-पट में कब नींद आयी याद नहीं है. अगले दिन सुबह जब बाहर निकलकर देखा तो सीन ये था।