पिछले साल पंद्रह अगस्त वाले वीकेंड पर हमारी टोली कुल्लू के बाग़ा सराहन में थी। हम लोग अपने होमस्टे पर रुके हुए थे। वहां से श्रीखंड यात्रा पर जाने का प्लान था। यात्रा पर निकला गया, श्रीखंड के दर्शन हुए, और क्या मनमोहक यात्रा रही! हमने उस बार पहाड़ों में ट्रेक करने का क़ायदा पढ़ा था।
पर ज़रूरी नहीं कि प्लान की हुई चीज़ें हर बार वैसी ही हों जैसे कि आप सोचते हैं। इस बार 15 अगस्त की छुट्टियाँ नज़दीक आते-आते फिर मन हुआ कि कहीं ट्रेक किया जाए। एक तो पिछले साल इन्हीं दिनों में ट्रेक की याद। दूसरा, ‘ल लदाख’ वाली ट्रिप पर गाड़ी में पड़े-पड़े गर्दन, कमर, ढ़ुई सब दुःख गए। ऊपर से बोर हुए वो अलग। फिर लद्दाख़ वाली ट्रिप पर बहुत सारे लोग भी साथ हो गए थे। इस बार सोचा कि केवल ख़ुद निकलेंगे, कोई बाहर का बंदा नहीं होगा। तो ऐसा करके जाने वाले कुल 5 लोग तैयार हो गए। अब दिमाग़ में पहाड़-पहाड़, जाना है- जाना है, तो हो गया था। पर जायें कहां, वो अभी सोचना था।
THINGS TO KNOW ABOUT SHRIKHAND MAHADEV TREK
जाएं कहाँ, ये एक बार में डिसाइड करना होने वाली बात तो है नहीं। आपका दिमाग आपको हर जगह दौड़ाता है और आप आगे-आगे भागते हैं। डेस्टिनेशन डिसाइड करने की माथापच्ची शुरू हुई, हर रोज़ एक नया विचार। ऐसा करते-करते एक दिन, 15 अगस्त वाले वीकेंड से दो हफ़्ते पहले, ओली का मैसेज आता है Whats App ग्रुप पर — “ग्रेट लेक्स ओफ़ कश्मीर ट्रेक पर चलते हैं बे?“
NIGHT OUT AT VISHANSAR & KISHANSAR LAKE
वैसे पिछले महीने लद्दाख श्रीनगर से ही होकर गए थे, पर घूमने का बिलकुल टाइम नहीं लगा। अब ग्रेट लेक्स के बहाने पहले डल लेक जाना हो रहा था। फिर वहां से गुलमर्ग और आख़िर में पद यात्रा – यानि कि ग्रेट लेक्स ऑफ़ कश्मीर ट्रेक। हमारे पास ट्रेक कैन्सल करने की कोई वजह नहीं थी। डिसाइड हो गया कि यही करते हैं, इसमें ट्रेकिंग का मक़सद भी पूरा हो रहा था।
अब हम लोग जुट गए प्लानिंग में। कैसे चलें? क्या-क्या लेके चलें? वहां क्या शूट करेंगे? कैमरे कहां चार्ज करेंगे? रुकने और खाने का क्या सीन होगा? हफ़्ते भर में हमने इन सभी सवालों का समाधान निकाल लिया। सबसे पहले दिल्ली से जम्मू की टिकट कटा ली। जम्मू से आगे कैसे जाना है वो भी सॉर्टेड था। डल लेक में रुकने का प्रबंध भी तेज़ी से किया गया। सब सेट, ट्रिप के लिए दिनों की उलटी गिनती शुरू।
ट्रिप से हफ़्ते भर सब दिल्ली वाले ठिकाने पर मिलते हैं। ट्रिप पर निकलने से पहले काग़ज़ों पर ठप्पा लगे, उससे पहले, आकस्मिक ही, नया राग अल्पा जाता है।
ओली — “अबे गुरेज़ वैली चलते हैं, इंडिया पाकिस्तान बॉर्डर पर।’“
गूगल देवता को खोल कर वहां की छानबीन हुई। जगह का तो कोई जवाब नहीं है। हम चलने की हालत में तो थे बस थोड़ा ख़र्चा बढ़ रहा था। बात हुई कि ट्रेक नहीं कर पायेंगे, पर बहुत से गांव घूमने को मिलेंगे और नए लोग से मिलने का मौक़ा भी। हामी भरने के लिए सबकी राय ली गई। पर ग्रेट लेक्स ओफ़ कश्मीर को शूट करने के लिए जो स्क्रिप्ट तैयार है उसक क्या?
ऐसा करते हैं, पहले श्री नगर चलते हैं। ग्रेट लेक्स करें या गुरेज़ वैली, श्रीनगर तो पहुँचना ही है। दोनों अलग जगहों की अलग स्क्रिप्ट और अलग बजट तैयार हुआ। डेट, जगह, कैसे और क्यों जाना है, ये सब डिसाइड हो चुका था। बस बैग उठाकर घर से निकलना था।
आगे का अगले हफ़्ते, अगले भाग में।